शहर की भीड़भाड़ वाली सड़कों पर लाल कपड़ों में महिला आग की लौ की तरह चमक रही थी। वह आत्मविश्वासी और साहसी थी। पास ही एक गोल-मटोल महिला चेकदार पोशाक में थी, जिसके बैग पर छोटे जानवर बने थे। वह शर्मीली थी, पर दिल की दयालु। एक दिन लाल कपड़ों वाली महिला ने उसका भारी थैला उठाने में मदद की। बस उसी क्षण से दोस्ती की शुरुआत हुई। वे हर हफ्ते मिलने लगीं, चाय पीते हुए हँसी और कहानियाँ साझा करतीं। एक ने साहस दिया, दूसरी ने सुकून। दोनों ने जाना कि सच्ची दोस्ती बाहरी रूप में नहीं, बल्कि दिल की गर्माहट में मिलती है।
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