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जैसे ही सूरज क्षितिज में समा जाता है, दो परछाइयाँ हाथों में हाथ डाले चलती हैं, उनके कदम प्रेम और स्वतंत्रता की लय में गूंजते हैं। सुनहरा आकाश समय की क्षणभंगुरता फुसफुसाता है, पर उनका बंधन ढलती रोशनी से अधिक प्रज्वलित होता है। यह पल केवल सूर्यास्त नहीं—यह जुनून, साहस और साझा सपनों का वादा है। इस आकाश के नीचे हर धड़कन कल को साथ अपनाने की शपथ बन जाती है।
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